
भारत की जो थाली कभी मिसाल हुआ करती थी पोषण के संतुलन की – अब उसी थाली में फैट का तांडव है और फाइबर की विदाई। सरकारी रिपोर्ट Household Consumption Expenditure Survey: 2022-23 & 2023-24 कहती है कि अब औसतन भारतीय 67.3 ग्राम फैट रोज़ खा रहा है। 2012 के मुकाबले ये आंकड़ा छप्पर फाड़ कर आया है।
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स्वाद के पीछे हेल्थ को गोलगप्पा बना दिया!
शहरों के लोगों की थाली में तो फैट की भरमार है। शहरी पुरुष 68.6 ग्राम और महिलाएं 65.2 ग्राम फैट रोज़ खाते हैं। पर दिक्कत तब है जब खाने में मज़ा आ रहा है पर शरीर में गड़बड़ घोटाला चालू है। LDL बढ़ रहा, ब्लड वेसल्स सिकुड़ रहे, और दिल से कह रहा शरीर – “सॉरी भाई, अब नहीं हो पाएगा।”
थाली से सब्जी गायब, फाइबर अब WhatsApp पर ही दिखे!
पेट की गड़बड़ी का असली विलेन है फाइबर की कमी। सब्ज़ी-दालें जैसे किसी रिश्तेदार की तरह अब त्योहारों में ही मिलती हैं। फाइबर की ज़रूरत 25-30 ग्राम है, लेकिन आम भारतीय इससे बहुत पीछे चल रहा है – जैसे गाड़ी में पेट्रोल हो ही ना।
पेट फूला, कब्ज छाया – आंतों का भी मूड खराब है!
बिना फाइबर के पेट है जैसे सास के बिना सास-बहू सीरियल। कब्ज, गैस, एसिडिटी और पेट फूलना आम बात हो गई है। ऊपर से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ गया है। मतलब पेट तो परेशान है ही, दिल और शुगर भी रूठे बैठे हैं।
लाइफस्टाइल ने फोड़ा थाली को
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट कह रहे हैं – शहरीकरण, बिज़ी लाइफस्टाइल और ज़्यादा एडवर्टाइजिंग ने भारतीयों को फास्ट फूड और प्रोसेस्ड स्नैक्स का गुलाम बना दिया है। रोटी-सब्जी से लोग ऐसे दूर भाग रहे जैसे बेमौसम बरसात से।
बदलाव ज़रूरी है – वरना थाली बनेगी बीमारियों की थाली
अब समय है फिर से थाली को ‘बैलेंस्ड’ बनाने का:
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सब्जी और सलाद रोज़ शामिल करें
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मल्टीग्रेन आटा, अंकुरित दाल और फल खाएं
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तले-भुने आइटम को “वीकेंड गेस्ट” की तरह ट्रीट करें
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देसी घी हो या सरसों का तेल – सीमित मात्रा में
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व्यायाम और खूब पानी – हेल्थ का बीमा!
अब जब रिपोर्ट ने कड़वा सच बता ही दिया है, तो चलिए मीठा खाना थोड़ा कम करें और फाइबर से दोस्ती बढ़ाएं। वरना पेट कहेगा – “भैया, अब ना होई!”
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